महाकुंभ मेले में भीषण आग: सिलेंडर धमाकों ने मचाई दहशत, गीता प्रेस के शिविर जलकर खाक

 

महाकुंभ में आग की भयावह स्थिति
महाकुंभ मेले के सेक्टर-19 में आग की विकराल लपटें और धुएं का गुबार।

रविवार की दोपहर महाकुंभ मेले के सेक्टर-19 में अचानक एक भयानक घटना ने पूरे क्षेत्र को हिला दिया। वाराणसी के करपात्र धाम और गोरखपुर के प्रसिद्ध गीता प्रेस के शिविरों में लगी आग ने देखते ही देखते विकराल रूप धारण कर लिया। बांस-फूस के बने करीब 300 कॉटेज जलकर राख हो गए। आग के बीच सिलेंडरों में धमाकों ने दहशत और बढ़ा दी। इस घटना में करीब 2.5 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का अनुमान है।

कैसे शुरू हुई घटना

रविवार को लगभग चार बजे करपात्र धाम के एक श्रद्धालु पवन त्रिपाठी के कॉटेज से धुआं उठता देखा गया। वहां मौजूद लोगों ने जैसे ही इसे देखा, तुरंत आग बुझाने का प्रयास किया, लेकिन आग ने चंद मिनटों में ही कई कॉटेज को अपनी चपेट में ले लिया। तेज हवा के कारण आग और अधिक फैल गई। बांस और फूस से बने शिविर आग की लपटों का शिकार हो गए।

शिविर में रखे 10 से अधिक एलपीजी सिलेंडर धमाकों के साथ फटने लगे। इन धमाकों की गूंज पूरे क्षेत्र में सुनाई दी और चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए भागदौड़ शुरू कर दी।

दमकल विभाग की मशक्कत

आग की सूचना मिलते ही दमकल विभाग की 15 गाड़ियां मौके पर पहुंचीं। हालांकि, मेला क्षेत्र में बनी रेत के कारण कई गाड़ियां फंस गईं, जिससे राहत कार्य में देरी हुई।

 

"महाकुंभ में राहत कार्य करते दमकल कर्मी"
दमकल कर्मियों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।

इसके बावजूद फायर ब्रिगेड की टीम ने करीब एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया।

घटनास्थल पर मुख्यमंत्री का दौरा

आग बुझने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटनास्थल का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को राहत कार्य में तेजी लाने और आग लगने के कारणों की जांच के सख्त निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने मेला क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक मजबूत करने का आदेश दिया।

महाकुंभ मेले का महत्व

महाकुंभ मेला हिंदू धर्म में सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है। हर 12 साल में आयोजित होने वाला यह मेला प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में बारी-बारी से होता है। इसमें करोड़ों श्रद्धालु और साधु-संत गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में डुबकी लगाकर पापों से मुक्ति की कामना करते हैं। महाकुंभ का पहला आयोजन 643 ईस्वी में हर्षवर्धन के शासनकाल में हुआ था। यह मेला न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं का जीता-जागता उदाहरण भी है।

भारी नुकसान, पर गनीमत

इस घटना में 2.5 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। आग में पांच बाइकें और पांच लाख रुपये नकद जलकर खाक हो गए। राहत की बात यह रही कि कोई बड़ी जनहानि नहीं हुई। हालांकि, हरियाणा और सिलीगुड़ी के दो लोग मामूली रूप से झुलस गए, जिन्हें अस्पताल भेजा गया।

महाकुंभ में लाखों करोड़ों रुपया की छती
महाकुंभ मेले में 2.5 लाख रूपये की छती

आग लगने के कारणों की जांच जारी

डीआईजी वैभव कृष्ण ने बताया कि आग लगने के कारणों की जांच की जा रही है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि यह घटना लापरवाही का परिणाम थी या किसी अन्य कारण से हुई। जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने बताया कि स्थिति अब सामान्य है और श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया है।

महाकुंभ में सुरक्षा पर सवाल

इस घटना ने महाकुंभ मेले में सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लाखों श्रद्धालु जहां शांति और आस्था के लिए यहां आते हैं, वहां इस तरह की घटनाएं भय का माहौल बना देती हैं।

शांत माहौल में लौट रहा मेला क्षेत्र

आग बुझने और राहत कार्यों के बाद अब मेला क्षेत्र में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। श्रद्धालुओं के लिए नए शिविर बनाए जा रहे हैं और सुरक्षा को लेकर नई योजनाएं बनाई जा रही हैं।

महाकुंभ मेले की इस घटना ने जहां एक ओर चिंता पैदा की है, वहीं दूसरी ओर यह भी दिखाया कि इस प्रकार के आयोजनों में सुरक्षा और व्यवस्था को कितना मजबूत बनाया जाना चाहिए।

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